SHIV CHAISA - AN OVERVIEW

Shiv chaisa - An Overview

Shiv chaisa - An Overview

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जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥

Devotees who chant these verses with rigorous adore become prosperous via the grace of Lord Shiva. Even the childless wishing to obtain little ones, have their needs fulfilled after partaking of Shiva-prasad with faith and devotion.

श्रावण मास विशेष : शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ,देगा मनचाहा लाभ

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

अर्थ: हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में कामयाब हुए। इतना ही नहीं जब श्री राम मां शक्ति की पूजा कर रहे थे और सेवा में कमल अर्पण कर रहे थे, तो आपके ईशारे पर ही देवी ने उनकी परीक्षा लेते हुए एक कमल को छुपा लिया। अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत Shiv chaisa छवि न्यारी॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

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